पहली कविता ,जैनब
तेरी झील सी आंखों में,
क्यों डूबना चाहती हूँ
तेरी मस्त अदाओं पर,
मर मिटने का जज्बा क्यों हैं।
दीन-दुनिया कहाँ
अपनी भी खबर नहीं मुझको,
तेरे साथ में वजूद अपना
क्यों खोदेने की चाहत है।
तेरे चेहरे की कई चमक
खींचती क्यों है मुझे पता नहीं
किस दिन आपकी हो गई.........
शर्म हया ने जकड रखा है,
वरना आपको खत लिखने को दिल करता हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें